निमंत्रण पत्र जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए
गंगा सभा व विहिप ने निर्णय का विरोध किया
हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में आज आयोजित किये जा रहे दीपोत्सव कार्यक्रम में मुस्लिम जनप्रतिनिधियों को बुलाये जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के जिला प्रशासन का कहना है कि प्रोटोकॉल के तहत सभी जनप्रतिनिधियों को निमंत्रण पत्र भेजे गए। जबकि गंगा सभा और विहित व अन्य हिंदू संगठन गंगा की पवित्रता व पुरानी परंपराओं को बनाए रखने के तहत इसका विरोध कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आज हरिद्वार में हर की पैड़ी सहित 52 गंगा घाटों पर राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत गंगा घाटों को तीन लाख दीप प्रज्वलित कर रोशन किया जाएगा। इस अवसर पर एक भजन संध्या और द्रोण प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 4 बजे शाम से होगी तथा देर रात तक यह कार्यक्रम चलेगा। जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहेंगे। जिला प्रशासन ने जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को निमंत्रण भेजे हैं जिसमें मुस्लिम समुदाय के भी जनप्रतिनिधि शामिल हैं।
नगर निगम हरिद्वार के वाईलाज के अनुसार गंगा घाटों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों का प्रवेश वर्जित है। इसी आधार पर गंगा सभा और विहिप तथा अन्य सामाजिक संगठन प्रशासन के इस कार्य का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है की गंगा की पवित्रता और पुरानी परंपराओं को अक्षुण रखा जाना चाहिए। इस विवाद को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि वह कोई टिप्पणी करना नहीं चाहते हैं। लेकिन इसके साथ ही वह कहते हैं कि हमारे मुस्लिम जनप्रतिनिधियों ने हमेशा गंगा की पवित्रता को बनाए रखने में सहयोग किया है। भाजपा के नेताओं द्वारा जिस तरह के मुद्दे खड़े किए जा रहे हैं वही जान सकते हैं कि वह प्रदेश को कैसा बनाना चाहते हैं और कहां ले जा रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी ने भी एक बार गंगा आरती में शामिल होने का कार्यक्रम बनाया था लेकिन गंगा सभा के विरोध के बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था। हो सकता है कि विरोध व विवाद से बचने के लिए कोई मुस्लिम जनप्रतिनिधि इस कार्यक्रम में खुद ही शिरकत न करें।