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भाजपा में यूसीसी को लेकर उत्साह, मुस्लिम समाज ने जताया विरोध

सरकार पुनर्विचार करे अन्यथा कोर्ट की शरण में जायेगें

देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार राज्य में यूसीसी लागू करने से महज एक कदम दूर है। उम्मीद की जा रही है कि संभतया 26 जनवरी को राज्य मेे समान नागरिक संहिता लागू हो जायेगी। जिसे लेकर सत्ता पक्ष में भारी उत्साह है। लेकिन कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही मुस्लिम समुदाय इसको संविधान विरोधी बताकर न्यायालय जाने की बात कह रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इसके लागू होने से समाज मे व्याप्त अनेक बुराईयों का अंत हो जायेगा। तीन तलाक के अभिशाप से मुक्ति के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को हलाला और शिद्दत जैसी प्रथाओ के अलावा कई—कई शादियंा करने से भी मुक्ति मिल सकेगी। लिव इन को कानूनी संरक्षण मिल सकेगा। ठीक वैसे ही सम्पत्तियों में अधिकार जैसी समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। बच्चों के अधिकार संरक्षित हो सकेंगे। उनका कहना है कि यूसीसी से सभी धर्म व जाति और समुदाय के लोगों को फायदा ही होगा इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होने कहा कि हम एक देश एक संविधान और एक विधान की नीति पर चलने के पक्षधर है।
मुस्लिम समुदाय का कहना है कि जब देश में एक संविधान है तो फिर इससे अलग और कानून लाने की क्या जरूरत है? और अगर देश के किसी कानून मेें कोई बदलाव किया जाना या नया कानून लाया जाना जरूर ही था तो यह केन्द्र सरकार को करना चाहिए था किसी राज्य सरकार को देश के लिए कानून बनाने का क्या अधिकार है? उनका कहना है कि भाजपा द्वारा सत्ता में आने के बाद से लगातार अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट किया जा रहा है चाहे वह एनआरसी की बात हो या सीएए लागू करने का मुद्दा हो भाजपा मुस्लिमों को निशाना बनाने का काम कर रही है। साथ ही यूनियन सिविल कोड का विरोध करने वाले इन लोगों का कहना है कि वह सरकार से इस फैसले पर पुर्न विचार करने का आग्रह करेंगे और अगर सरकार नहीं मानती है तो वह न्यायालय का दरवाजा भी खटखटायेंगे।

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