कब है मकर संक्रांति,13 या 14 जनवरी ?

मकर संक्रांति 2025: 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व भारत में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे सूर्य का उत्तरायण भी कहा जाता है. इस दिन से खरमास भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. आइए जानते हैं मकर संक्रांति और इस खास दिन को लेकर ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी का क्या कहना है.

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व है. धार्मिक दृष्टि से, यह दिन भगवान सूर्य की पूजा का दिन है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और सूर्य देव की आराधना करते हैं. सांस्कृतिक रूप से, यह पर्व नई फसल के आगमन की खुशी का प्रतीक है. इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं और पतंगें उड़ाई जाती हैं. खगोलीय दृष्टि से, इस दिन सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.

14 जनवरी 2025 का संयोग

14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति एक विशेष संयोग में मनाई जाएगी. इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग भी बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जाता है. यह योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से बनता है. इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

मकर संक्रांति की तैयारियां

मकर संक्रांति के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं. लोग इस दिन के लिए नए कपड़े खरीदते हैं, तिल और गुड़ से बनी चीजें बनाते हैं और पतंगें खरीदते हैं. इस दिन मेलों का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

मकर संक्रांति संदेश

मकर संक्रांति का पर्व हमें प्रकृति के परिवर्तन और नए आरंभ का संदेश देता है. यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर और मृत्यु से अमरता की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top