मुम्बई राजभवन के नीचे बंकर देख पत्रकार आर्श्चर्यचकित (गिरीश पन्त)
देहरादून। मीडिया टूर के तहत उत्तराखंड की सात सदस्यीय पत्रकारों की टीम गत दिवस तीन दिन के पुणे प्रवास के बाद जलमार्ग से होते हुए मुंबई पहुंची। मुंबई के बारे मे जैसा सुना था वैसा देखा। वाकई मुंबई शहर एक ऐसा शहर है जहां हजारों लाखों लोग अपनी आंखों में ढेर सारे सपने लिए रोज यहां आते हैं।यह शहर कभी नहीं सोता। यहां दिन रात लोग सड़कों पर भागते रहते हैं।
मुंबई पहुंचते ही पीआईबी की टीम ने पत्रकारों की महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैंस से मुलाकात कराई। राजभवन मुंबई की वास्तुकला, सुरम्य हरियाली मनमोहक थी। पचास एकड़ क्षेत्र में फैला राजभवन तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। जिसके हरे भरे लॉन, संरक्षित वन क्षेत्र और विरासत बंगले हैं। बिट्रिश शासनकाल के दौरान 1802 में गर्वनर हाउस का निर्माण हुआ था । आर्श्चर्य तब हुआ जब राजभवन के नीचे मिले बंकर को देखा। यह बंकर पन्द्रह हजार वर्गफीट क्षेत्र में फैला हुआ है।
इसमें तेरह कमरे हैं. 2016 में इस बंकर के मिलने के बाद इसकी मरम्मत का काम कराया गया। अब इस पूरे बंकर को म्यूजियम (संग्रहालय) में बदल दिया गया है।
इस बंकर के ऊपर बड़ी तोपों को रखा गया है। वास्तव में उस वक्त बंकर निर्माण में बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया।पत्रकारों के दल ने राज्यपाल रमेश बैंस से मुलाकात कर मीडिया दौरे के अपने अनुभवों से उन्हें अवगत कराया। राज्यपाल ने पत्रकारों से संवाद करते हुए कहा कि पत्रकारों को निष्पक्ष होकर कार्य करना चाहिए। तथ्यपरक समाचारों व सूचनाओ को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही सही व जनहित का पक्ष लेना चाहिए।
उन्होंने कहा पत्रकारिता में समय के साथ कुछ दोष आ गए हैं। उन दोषों से हमें सजग रहना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर चिन्ता जताई कि पत्रकारिता आज मिशन न होकर एक व्यवसाय बन चुकी है।आज विज्ञापन को ही मीडिया स्टोरी के रूप में प्रस्तुत कर मुख्य पृष्ठ को ही बेच दिया जाता है। उनका कहना था वर्तमान में राजनीति का स्वरुप भी बदल गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल मे बांग्लादेश का निर्माण हुआ तो अटल जी ने विपक्ष में रहते हुए भी उन्हें दुर्गा की संज्ञा दी थी। आज ऐसा नहीं है। पूरी राजनीति केवल विरोध के लिए हो रही है जो उचित नही है। उन्होंने कहा पत्रकारों को अत्यन्त संवेदनशीलता से कार्य करना चाहिए। पत्रकारिता एक दर्पण की तरह साफ होनी चाहिए जिससे समाज को नई दिशा मिल सके। राज्यपाल से मुलाकात करने वाले पत्रकारों में अरुण प्रताप सिंह( दै गढ़वाल पोस्ट),गिरीश पन्त (दै बद्री विशाल),देवेन्द्र सती(दैनिक जागरण),गिरीश तिवारी( दै भास्कर),भूपेन्द्र कन्डारी(राष्ट्रीय सहारा), सुरेन्द्र डसील(जी न्यूज), अफजाल राणा(दै सहाफत) व पीआईबी मुम्बई की अतिरिक्त महानिदेशक स्मिता वत्स शर्मा,उपनिदेशक जयदेवी स्वामी, असिस्टेन्ट डायरेक्टर श्रीयंका चटर्जी, नम्रता जोशी,पुणे पीआईबी से उद्दव हिगोंली शामिल थे।