Breaking News
उत्तरकाशी का मथोली गांव बना महिला सशक्तिकरण की मिसाल
मुख्यमंत्री ने चौथे खेलो मास्टर्स राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने वाले सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी।
सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए यात्रा से एक सप्ताह पहले सभी व्यवस्थाएं पूर्ण की जाए- मुख्यमंत्री
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का दो दिवसीय चिंतन शिवर हुआ सम्पन्न
चारधाम यात्रा 2025 की तैयारियों का जायज़ा लेने चमोली पहुँचे स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार
श्री गुरु राम राय इंटर कॉलेज सहसपुर ने पूरे किए 70 वर्ष
बस पलटने से बच्चे सहित दो की मौत
सेतु आयोग द्वारा राज्य की गोल्डन जुबली 2050 तक का विजन डॉक्यूमेंट बनाया जाए-मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री की नीतियों से तीस करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले – मुख्यमंत्री

बिग ब्रेकिंग: चुनाव आयोग ने की घोषणा, केदारनाथ विधानसभा में उपचुनाव की तारीखों का हुआ ऐलान ।

केदारनाथ विधानसभा में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए मतदान होगा। 23 नवंबर को चुनावी नतीजे आएंगे।

कार्यक्रम के मुताबिक से 22 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक नामांकन पत्र भरे जा सकते हैं। 30 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की तारीख है। जिसके बाद 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।

विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद खाली हुई केदारनाथ सीट पर यह उपचुनाव कई मायनों में नाक और साख की लड़ाई माना जा रहा है। बदरीनाथ उपचुनाव हारने के बाद भाजपा यहां कोई कसर नही छोड़ना चाहती। यही वजह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा क्षेत्र के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं की हैं। बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में मिली हार से सबक ले चुकी है और विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती। केदारघाटी के बाजारों, कस्बों और गांवों में भाजपा का सक्रिय जनसंपर्क जारी है। भाजपा यहां जीत का परचम लहराती है तो ये राज्य सरकार के कामकाज पर जनता का समर्थन साबित होगा। लेकिन अगर हार मिलती है तो फिर सरकार, संगठन और नेतृत्व में उथल पुथल मचनी तय है।
वहीं कांग्रेस के लिए भी केदारनाथ में जीत दर्ज करके अपनी प्रतिष्ठा बचाने का सुनहरा मौका है। हाल ही में हरियाणा में मिली हार से कांग्रेस हताश जरूर है, लेकिन अगर केदारनाथ में उपचुनाव जीत जाती है तो ये उसके लिए संजीवनी से कम नही होगा। कांग्रेस यहां यात्रा मार्ग पर आपदा का मुद्दा भुनाना चाहेगी साथ ही केदारनाथ धाम में निर्माण कार्यों की लापरवाही, मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढञाने के मुद्दे पर भी चुनावी माहौल गरमाने के आसार हैं।

राज्य बनने के बाद केदारनाथ विधानसभा में 5 चुनाव हो चुके हैं। जिसमें से 3 बार भाजपा औऱ दो बार कांग्रेस विजयी रही है। 2000 में भाजपा की आशा नौटियाल ने कांग्रेस की शैलारानी रावत को हराया और इस सीट पर पहली महिला विधायक बनने का गौरव हासिल किया।

2007 में एक बार फिर भाजपा की आशा नौटियाल विधायक बनीं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी को हराया। 2012 में कांग्रेस ने शैलारानी रावत पर दांव खेला और उन्होंने आशा नौटियाल का विजयी रथ रोककर 1989 के बाद इस सीट पर कांग्रेस को विजय दिला दी। 2016 में कांग्रेस में भारी बगावत हुई और शैलारानी रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया। 2017 में भाजपा ने शैलारानी को मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस के मनोज रावत ने मोदी लहर के बावजूद यह सीट कांग्रेस के खाते में डाली। 2022 में एक बार फिर से भाजपा ने शैला रानी रावत को टिकट दिया। इस बार उन्होंने निर्दलीय कुलदीप रावत को मात दी। कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे नंबर पर खिसक गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top