जंगलों की राख लोगों के घरों तक पहुंच रही
भारी नुकसान वन संपदा का हुआ
श्वास रोगियों को धुआं फैलने से हो रही समस्या
देहरादून। उत्तराखंड में जंगल की आग अब बेकाबू होने लगी है। वहीं, आग लगने से जंगलों में धुआं फैलने लगा है। उत्तरकाशी, श्रीनगर सहित क्षेत्र के आसपास के जंगलों में लगी आग के कारण घाटी में धुआं फैलने से लोग खासे परेशान हैं, जबकि जंगलों की राख लोगों के घरों तक पहुंच रही है। श्रीनगर के पास डांग के जंगल में बृहस्पतिवार रात को आग लग गई थी, जिससे वन संपदा का भारी नुकसान हुआ है। नगर की ऊपरी पहाड़ियों के जंगल जलने से वहां की राख हवा में उड़कर लोगों के घरों तक पहुंच रही है।
वहीं जंगल की आग से देवप्रयाग क्षेत्र में धुआं फैला है। सीएचसी बागी के डॉ. नूतन प्रकाश पांडे का कहना है कि धुआं से सबसे अधिक समस्या श्वास के रोगियों को हो रही है। वहीं अस्पताल में बुखार, सरदर्द, खांसी, आंखों में जलन, घुटन आदि के रोगी भी बढ़ गए हैं। जनवरी माह से धधक रहे जंगलों से उठ रहा धुंआ पर्यावरण के साथ मानव व मवेशियों को बीमार रहा है। वातावरण में फैला घनी धुंध से दो सौ मीटर की दूरी तक साफ नहीं दिख रहा है।
रुद्रप्रयाग जिले में अभी तक वनाग्नि की 70 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 65 हेक्टेयर से अधिक वन संपदा जलकर राख हो चुकी है। साथ ही कई वन्य जीव भी काल का ग्रास बन गए हैं। जिले में 107337.657 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले रुद्रप्रयाग वन प्रभाग और 7224.40 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के आरक्षित व सिविल वन पंचायत क्षेत्र में वनाग्नि की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं।
वनाग्नि का कहर इस कदर है कि बच्छणस्यूं, रानीगढ़, धनपुर, क्यूंजा घाटी, तुंगनाथ घाटी, मद्महेश्वर घाटी, केदारघाटी, कालीमठ घाटी, भरदार, बड़मा, सिलगढ़, तल्लानागपुर में चीड़ बाहुल्य क्षेत्र में शायद ही कोई वन क्षेत्र हो, जो आग की चपेट में न आया हो। आग अब बांज, बुरांश के जंगलों को भी अपनी चपेट में लेने लगी है।