मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हो रहे हैं इस दिशा में बेहतर कार्य
देहरादून। ग्रामीण क्षेत्रों में लघु, सीमांत, भूमिहीन व निर्बल वर्ग के किसानों व दुग्ध उत्पादकों को उत्पादित दूध की उचित कीमत दिलाने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बेहतर कार्य हो रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गांव स्तर पर स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने में डेरी विकास विभाग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभाग द्वारा महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
साईलेज एवं दुधारू पशु पोषण योजना
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में गठित दुग्ध सहकारी समितियों से जुडी महिला सदस्यों को अपने दुधारू पशुओं के पालन के लिए हरे चारे की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन वन क्षेत्रों में जाकर अधिक मेहनत और समय देना पडता है। इस चारे की गुणवत्ता निम्न स्तर की रहती है। इससे दुधारू पशुओें से होने वाली दूध की मात्रा अत्यंत कम है। जिस कारण इस कार्य मे लगी महिलाओं को उनके श्रम के अनुरूप कीमत प्राप्त नहीं हो पाती है। इसलिए दुग्ध उत्पादको को वैक्यूम पैक्ड कार्न साईलेज उपलब्ध कराया जाता है। यह चारा उच्च गुणवत्ता का होने से दुग्ध उत्पादन में भी वृृद्धि होती है।
दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना
इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 से दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों को उनके द्वारा दुग्ध समिति में उपलब्ध कराये गये दूध की मांत्रा व इसके लिए निर्धारित गुणवत्ता के मानकों के आधार पर प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करायी जाती है। गुणवत्तापरक दूध देने वाले समिति सदस्यों को प्रोत्साहन राशि राज्य अनुदान उपलब्ध करायी जा रही है।
गंगा गाय महिला डेरी योजना
योजना के अंतर्गत ग्राम स्तर पर गठित दुग्ध सहकारी समितियों की 4795 महिला सदस्यों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से एक संकर नस्ल की दुधारू गाय उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिए उन्हें बैंक ऋण व अनुदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है।
डेरी विकास योजना
उत्तराखण्ड में डेरी विकास विभाग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध सहकारी समितियों गठित करते हुए दुग्ध उत्पादकों को वर्ष भर दूध विपणन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा नगरीय क्षेत्रों में उपभोक्ताओं, पर्यटको, तीर्थयात्रियों, संस्थाओं को उचित दर पर उच्च गुणवता के दूध एवं दुग्ध पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने में डेयरी विकास विभाग महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। यातायात अनुदान- इसके अन्तर्गत दुग्ध समितियों से दूध एकत्र कर दुग्धशाला से लाने के लिए दूध के परिवहन में आने वाले व्यय में से राजकीय अंश के रूप में अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादित दूध के ढुलान पर होने वाले यातायात व्यय के अतिरिक्त व्ययभार को वहन करने हेतु यातायात अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
पशुपालन विभाग की योजनाएं
राष्ट्रीय गोकुल मिशनः इसके अंतर्गत गोवंशीय पशुओं और महिषवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार के लिए अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत वीर्य के माध्यम से 8.01 लाख प्रजनन योग्य पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा पशुपालक के घर पर उपलब्ध कराई जा रही है।